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प्रतिवर्ष 20 मार्च को इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस के रूप में मनाया जाता है. जिसका प्रमुख उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को खुश रहने का मक्सद एवं महत्व को समझाना है. ऐसे में कितने देश के लोग इसको समझते हैं चलिए इसको जानते हैं.
इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाने का कारण
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Annual World Happiness Report 2024 के अनुसार सभी देशों को हैप्पीनेस के आधार पर रैंक दिया जाता है. जिसमें 140 देशों की सूची में से टॉप 20 की हैप्पीएस्ट सूची में भारत नहीं शामिल है.
Happieness Index
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फिनलैंड, डेनमार्क,स्वीडन, इजरायल, नीदरलैंड्स,आइसलैंड,नॉर्वे, लक्ज़मबर्ग, न्यूजीलैंड, कोस्टा रिका, कुवैत, ऑस्ट्रिया, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, आयरलैंड, चेकिया, लिथुआनिया, यूनाइटेड किंगडम.
टॉप 20 हैप्पीएस्ट देशों की सूची
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पिछले सात सालों से फिनलैंड लगातार हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में पहले स्थान पर बना हुआ है. इसका कारण फिन्स का मजबूत कल्याणकारी समाज, निम्न स्तर का भ्रष्टाचार, मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा सुविधाएं, विश्वास, स्वतंत्रता और उच्च स्तर की स्वायत्तता है।
फिनलैंड में लोग सबसे ज्यादा खुश कैसे हैं?
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140 देशों में से 126वीं है, जो इसे नेपाल, बांग्लादेश और चीन जैसे पड़ोसी देशों से नीचे रखती है।
हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग
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यह रिपोर्ट छह कारकों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इनमें जीडीपी, जीवन प्रत्याशा, सकल घरेलू उत्पाद, उदारता, सामाजिक समर्थन, स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार शामिल हैं।
सबसे खुशहाल देश की पहचान कैसे की जाती है?
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मानसिक स्वास्थ्य के लिए खुश रहना बहुत जरूरी है। यह पैसों से ज़्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस माहौल में रहते हैं।
खुश रहना जरूरी है.
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खुश रहने के लिए फिट रहना बहुत जरूरी है। इसके अलावा मानसिक शांति के लिए योग और ध्यान करना भी बहुत फायदेमंद होता है।
खुश रहने के लिए क्या करें: